जय जवान जय किसान
# विधा - कविता
# विषय - जय जवान जय किसान
# मौलिक रचना
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शीर्षक- अग्निपरीक्षा
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ये अग्नि परीक्षाएँ
ऐसी क्यूं है
जो थमती ही नहीं
बहुत कसौटी देने पर
भी कभी नहीं
आस व्रीत टूटती नहीं
हर बार तनु सी
कराहति खमोशी
प्रश्न क्या है?
जब तक मेरे कन्हिंस
ध्यान रखें वर् करोगे?
जब तक लाठी उसकी भैंस
चोर रखोगे?
जब तक ये मेरा अपना स्वार्थ है
और लॉचर पर
रोटी सेकेंगे?
क्यूं दे नारे सड़कों पर हो
जय जवान जय किसान के
चंद राजनीतिक शड़यंत्र में
क्यूं मोहरा को नौजवान बनाते हैं
क्यूं बागी करते हो किसानों को
ये झूठी सहानुभूति हमें नहीं करनी चाहिए
ये देश जाट-वर्ग में नहीं बंटना चाहिए
अपने कर्णवादी - धर्म अपने -अपने हाथ हो
युवा और किसान सदाचार- हो हो
ये देश के कर्णधार इनका सद सम्मान हैं
जब विविधता में एकता होगी तब देश महान होगा
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रचनाकार- मीनाक्षी कुमावत'मीरा '
रोहिड़ा (पिंडवाड़ा)
माउन्ट अब्बू, रजि
Kumawat Meenakshi Meera
17-Feb-2021 07:48 PM
Thanks aliya
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Aliya khan
16-Feb-2021 09:05 PM
Nice
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